भटगांव पुलिस टीम व पड़ोसियों की सक्रियता के बाद भी नहीं बचाई जा सकी मासूमों तथा मां की जान, घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया…
सूरजपुर (डॉ प्रताप नारायण सिंह): गत रात्रि एसईसीएल भटगांव क्षेत्र के शक्ति नगर कॉलोनी में एक ऐसी घटना जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि भला सामूहिक आत्महत्या कितने दर्दनाक तरीके से अंजाम दिया जा सकता है, हृदय विदारक घटना का वृतांत जो पति के ड्यूटी चले जाने के बाद शुरू हुआ पत्नी ने अपने दो मासूम बच्चों के साथ खुद को शयन कक्ष में बंद कर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली सबसे नजदीकी पड़ोसी डॉ अनिल कुमार शर्मा अपने लड़के के साथ घर से बाहर गाड़ी को कैद में लगाने निकले हुए थे तभी उन्होंने देखा कि सामने के घर से धुएं का गुबार उठ रहा है उन्होंने तत्परता के साथ पुलिस को जानकारी देते हुए अन्य पड़ोसियों को भी उठाया किसी तरह 3 दरवाजे जिस में ताले लटके हुए थे तोड़कर अंदर घुसे पड़ोसियों ने मिलकर जल रहे सामानों को बाहर निकाला पानी की बौछार की भटगांव पुलिस टीम भी पहुंच चुकी थी, किसी तरह झुलस चुके दो मासूमों व मां को एसईसीएल भटगांव अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने अंबिकापुर के जीवन ज्योति अस्पताल के लिए रेफर कर दिया मां ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया और दोनों मासूम 7 वर्षीय अनमोल तथा 5 वर्षीय हिमाचल ने जीवन ज्योति अस्पताल में अंतिम सांस ली।
घटनास्थल पर सूरजपुर पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू के निर्देश पर एसडीओपी प्रतापपुर अमोलक सिंह ढिल्लों, भटगांव थाना प्रभारी शरद चंद्रा, फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ कुलदीप हुजूर की अगुवाई में पहुंचकर घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया, जिसमें डॉ कुलदीप कुजूर ने बताया कि पेट्रोल की गंध और जली हुई माचिस की तिल्ली प्रथम दृष्टया मामले को स्पष्ट कर रही है कि पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली गई है। किंतु दो मासूम बच्चों के साथ इतना दर्द भरा आत्महत्या का माध्यम आखिर कैसे हुआ यह सब बहरहाल पुलिस सभी एंगल से इसकी जांच में जुट गई है, किंतु इस घटना ने क्षेत्रवासियों को झकझोर कर रख दिया है,,, सूत्रों का कहना है कि पति पत्नी का अक्सर विवाद हुआ करता था खैर यह तो जांच का विषय है अब देखना होगा पुलिस अनसुलझे पहलुओं को कब तक सुलझा पाती है। भटगांव पुलिस टीम में प्रभारी शरद चंद्रा के साथ प्रधान आरक्षक संजय चौहान आरक्षक रजनीश पटेल आरक्षण मनोज जयसवाल, आरक्षक भोले शंकर राजवाड़े व अन्य थाना स्टाफ के लोगों ने जान बचाने पड़ोसियों के साथ मिलकर बहुत मेहनत की किंतु नियति को तो कुछ और ही मंजूर था।