बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने बुधवार को जन अदालत लगाकर सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को 7 दिन के बाद रिहा कर दिया है। बताया जा रहा है कि कुछ देर बाद सब इंजीनियर जिला मुख्यालय पहुंचेंगे। उनके साथ उनकी पत्नी अर्पिता भी हैं। बता दें कि 11 नवंबर को सब इंजीनियर प्यून को लेकर सड़क निर्माण कार्य का जायजा लेने गए थे। उसी दौरान करीब दोपहर साढ़े बारह बजे दोनों का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था। इसके बाद 12 नवंबर को नक्सलियों ने प्यून लक्ष्मण परतगिरी को रिहा कर दिया था। सब इंजीनियर की पत्नी अर्पिता ने माओवादियों से उसके पति को छोड़ने की गुहरा लगाई थी। वो अपने पति को ढूंढने के लिए तीन साल के बेटे के साथ जंगल में भी गई थी।
बता दें कि बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके गोरना गांव में करोड़ों रुपये की लागत से सड़क निर्माण का काम चल रहा है। यह इलाका पूरी तरह से माओवादियों का गढ़ है। इसी सड़क निर्माण काम का जायजा लेने के लिए गुरुवार को PMGSY के सब इंजीनियर अपने साथ विभाग के प्यून को लेकर गए थे। यहीं से माओवादियों ने दोनों का अपहरण किया था। नक्सलियों के चंगुल से छूटकर प्यून ने बताया था कि नक्सलियों ने रात लगभग साढ़े आठ बजे उसे लौकी की सब्जी और चावल खिलाया था
आंखों में पट्टी बांधकर यहां वहां घुमाते रहे। उसके बारे में पूछताछ भी की। लेकिन किसी तरह से उसे प्रताड़ित नहीं किया गया था। उसने बताया था कि नक्सली उसे किस तरफ ले गए थे। उसे यह नहीं पाता। माओवादी सब इंजीनियर को लेकर दूसरी तरफ चले गए थे। वहीं अजय लकड़ा की पत्नी अर्पिता को जब पति के अपहरण की जानकारी मिली थी वो भी गोरना गांव पहुंच गई थी। यहां रोते बिलखते गांव की गलियों में घूमती रही थी। रास्ते में जो भी ग्रामीण मिलता उससे गुहार लगाती रही कि किसी तरह से नक्सलियों तक कोई मेरी बात पहुंचा दो और मेरे पति को रिहा करवा दो। मेरे पति बेकसूर हैं।