जगदलपुर । यूपी समेत 5 राज्यों के चुनाव निपट चुके हैं। छत्तीसगढ़ में अगले साल के अंत में चुनाव प्रस्तावित हैं, लिहाजा भाजपा और कांग्रेस ने अपनी तैयारियाँ तेज कर दी हैं। भाजपा की रणनीति की बात करें, तो वह इस समय मैदानी इलाकों की जगह आदिवासी अंचलों में ज्यादा फोकस करती दिख रही है। भाजपा की छत्तीसगढ़ प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के बस्तर में हो रहे लगातार दौरे इस बात के साफ संकेत दे रहे हैं कि भाजपा बस्तर के रास्ते सत्ता की चाबी तलाशने में लग चुकी है।
कहते हैं कि देश की राजनीति में सत्ता हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश में किसी पार्टी के लिए जीत हासिल करना जरुरी होता है, ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में यह बात प्रचलित है कि राज्य की सत्ता की चाबी बस्तर से होकर निकलती है। शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की प्रदेश प्रभारी पद संभालने के बाद से भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री डी. पुरंदेश्वरी लगातार बस्तर के दौरे कर रही हैं। बीते कुछ दिनों में ही उन्होंने बस्तर के 2 बार दौरे कर लिए हैं। पुरंदेश्वरी सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और बस्तर जैसे घोर नक्सल प्रभावित जिलों का दौरा करके बस्तर की सियासी फिजा को भांपने की कोशिश कर रही हैं।
यह बात गौर करने योग्य है कि उनके बस्तर प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ भाजपा का कोई भी दिग्गज नेता साथ नहीं होता है। जिसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह बस्तर में कार्यकर्ताओं की जुबानी ही पार्टी की जमीनी स्थिति को जांचने में लगी हुई हैं। क्योंकि अगर उनके साथ प्रदेश का कोई बड़ा नेता होगा, तो शायद दबाव में कार्यकर्ता अपने मन की बात उनसे कह नहीं पाएंगे, इसलिए पुरंदेश्वरी ने साफ मना कर रखा है कि उनके साथ कोई बड़ा पदाधिकारी दौरे नहीं करेगा।
छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से ही आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग भाजपा का गढ़ बना हुआ था। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कब्जे में बस्तर संभाग की 12 में से 9 सीटें थी, 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहले से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 11सीटें जीतीं। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद माहौल कांग्रेस के पक्ष में जाने लगा। इस बार बस्तर में कांग्रेस ने 12 विधानसभा सीटों में से 8 पर अपना कब्जा जाम लिया, जबकि भाजपा को 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। 2018 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जनादेश पाने वाली कांग्रेस आज की स्थिति में बस्तर को पूरी तरह साध चुकी है। कांग्रेस के पास फिलहाल बस्तर की सभी 12 सीटें हैं।
छत्तीसगढ़ में चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और स्थानीय स्तर पर भाजपा को कोई भी बड़ा नेता जमीनी स्तर पर मेहनत करता नजर नहीं आ रहा है। पुरंदेश्वरी इस बात को शायद बेहतर समझती हैं, इसलिए वह खुद ही मेहनत करने में जुट चुकीं हैं। मिली जानकारी के मुताबिक वह बस्तर में हो रही भाजपा की समीक्षा बैठकों में कार्यकर्ताओं से सीधे यह सवाल पूछ रही हैं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना क्यों करना पड़ा? और अगर चुनाव जीतना है, तो आगे क्या करना होगा?
इधर भाजपा के अचानक बस्तर में बेहद सक्रिय नजर आने से कांग्रेस के भी कान खड़े हो गए हैं। बीजापुर सीट से कांग्रेस के विधायक विक्रम शाह मंडावी का कहना है कि बीजेपी ने 15 सालों तक छत्तीसगढ़ में शासन किया, इस दौरान बस्तर में आदिवासियों पर बहुत अत्याचार हुए हैं, जिसे बस्तर की जनता भूली नहीं है। रमन सिंह सरकार ने प्रदेश में विकास की जगह भ्रष्टाचार किया था, जबकि कांग्रेस की सरकार का ध्यान पूरी तरह विकास पर ही केंद्रित है। पुरंदेश्वरी जी को भाजपा की हार का कारण समझ में आ जाना चाहिए। वहीं भाजपा प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी का कहना है कि भाजपा ने हाल ही में 4 राज्यों में जो सफलता पाई है, इसका फायदा बस्तर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में जरूर मिलेगा।