रायपुर। भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ मे अपने 3 साल के कार्यकाल पूरे हो जाने के बाद भी अब तक पूर्ण शराबबंदी नहीं कर सकी है। शराबबंदी के वादे को पूरा ना कर पाने की वजह से अब कांग्रेस सरकार विपक्ष के निशाने पर है। भाजपा शराबबंदी के मुद्दे पर अब जल्द ही एक बड़े आंदोलन की तैयारी मे है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव मे जनता से छत्तीसगढ़ मे पूर्ण शराबबंदी करने का वादा किया था लेकिन सत्ता मे काबिज होने के बाद अब तक वादा निभाने में सफल नहीं रही है। राज्य के प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ मे नशा मुक्ति अभियान शुरू करने का फैसला लिया है। पार्टी ने इसके लिए वेदराम मनहरे को प्रभारी भी बनाया है ।
खास बात यह है कि भाजपा ने जिसे कांग्रेस सरकार के खिलाफ शराबबंदी के आंदोलन का चेहरा बनाया है, वह कभी कांग्रेस में हुआ करता था। साल 2018 के विधानसभा चुनाव मे वेदराम मनहरे रायपुर की आरंग सीट से कांग्रेस से टिकट के अहम दावेदार थे, टिकट ना मिलने के बाद पार्टी से लगातार नाखुश थे। बीते साल सितम्बर मे ही उन्होंने भाजपा मे प्रवेश किया था।
वेदरामन हरे ने बताया कि प्रदेश में अभियान के लिए प्रभारियों की नियुक्तियां की जा रही हैं। इसके बाद पूरे प्रदेश में शराबबंदी की मांग को लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो वादा किया था, वह उसे निभाने में विफल रही है। कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क है।
बिहार की तरह नही करेंगे शराबबन्दी: आर पी सिंह
हाल ही की घटना है जब बिहार मे 13 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी। इस घटना के बाद कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह का बयान सामने आया है कि छत्तीसगढ़ मे बिहार की तरह फैसला आनन-फानन में नहीं लिया जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता ने बिहार में शराबबंदी के बावजूद नकली शराब पीने से हुई लोगों की मौत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन राज्यों ने शराबबंदी लागू की है, वहां की परिस्थितियों के अध्ययन तथा सामाजिक संगठनों से रायशुमारी के बाद ही छत्तीसगढ़ में शराबंदी की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
कांग्रेस बताएं उसने शराबबंदी का वादा किया था कि नही: पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का कहना है कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करने का वादा किया था, जिससे वह मुकरती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस को पहले तो यह स्पष्ट करना चाहिए कि आपने शराबबंदी और बेरोजगारी भत्ता, किसानों को 2 साल का बकाया बोनस देने की घोषणा, जन घोषणा पत्र में की थी या नहीं? फिर शराबबंदी पर हो रही लेटलतीफी पर आगे की बहस करेंगे l
झारखंड सरकार को पसंद आई छत्तीसगढ़ की शराब नीति।
छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार शराबबंदी तो नहीं कर सकी है। लेकिन छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री को लेकर सरकार की नीति दूसरे राज्यों को पसंद जरूर आने लगी है। छत्तीसगढ़ सरकार अब झारखंड मे शराब की बिक्री बढ़ाने के टिप्स देगी। दरअसल झारखंड सरकार छत्तीसगढ़ की नई शराब नीति से आकर्षित नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ से सीखते हुए झारखंड सरकार भी शराब की खरीदी और बिक्री को लेकर नई नीति लागू करने वाली है। छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि झारखंड सरकार छत्तीसगढ़ सरकार के संपर्क में है और छत्तीसगढ़ की शराब नीति को लागू करने मे रुचि दिखा रही है, इसमे हमारी सरकार झारखंड की मदद के लिए तैयार है।