Indian Republic News

फिल्ममेकर का निधन:नहीं रहे ‘सिलसिला’ और ‘कहो न प्यार है’ जैसे फिल्मों के लेखक सागर सरहदी, 88 साल की उम्र में मुंबई में ली अंतिम सांस

0

- Advertisement -

दिग्गज फिल्ममेकर और राइटर सागर सरहदी का निधन हो गया है। वे 88 साल के थे। 22 मार्च को उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। दिल की बीमारी के चलते उन्हें कुछ समय पहले सायन, मुंबई के एक कार्डिएक केयर हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। सरहदी ने स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह स्टारर ‘बाजार’ (1982) को डायरेक्ट किया था। जबकि फारुख शेख, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी स्टारर ‘लोरी’ (1984) के वे प्रोड्यूसर रहे हैं। वे ऋतिक रोशन और अमीषा पाटिल स्टारर ‘कहो न प्यार है’ के स्क्रीनराइटर भी थे।

अशोक पंडित ने दी जानकारी

फिल्ममेकर अशोक पंडित ने सरहदी के निधन की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है, “हार्ट अटैक से जाने-माने लेखक, निर्देशक सागर सरहदी जी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। राइटर के तौर पर उनकी कुछ जानी-पहचानी फिल्में ‘कभी कभी’, ‘नूरी’, ‘चांदनी’, ‘दूसरा आदमी’, ‘सिलसिला’ हैं। उन्होंने ‘बाजार’ का निर्देशन भी किया था। यह इंडस्ट्री का बहुत बड़ा नुकसान है। ओम शांति।”

‘सिलसिला’ जैसी फिल्मों का स्क्रीनप्ले लिखा

सरहदी खासकर स्क्रीनप्ले और डायलॉग राइटर के तौर पर जाने जाते हैं। उन्होंने हनी ईरानी और रवि कपूर के साथ मिलकर ‘कहो न प्यार है’ (2000) का स्क्रीनप्ले लिखा था। वे यश चोपड़ा के साथ अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, रेखा और जया बच्चन स्टारर ‘सिलसिला’ के स्क्रीनराइटर भी थे। इसके अलावा ऋषि कपूर, दिव्या भारती और शाहरुख खान स्टारर ‘दीवाना’ की स्क्रिप्ट सरहदी ने ही लिखी थी। जिन फिल्मों के डायलॉग सरहदी ने लिखे उनमें अमिताभ बच्चन, राखी स्टारर ‘कभी कभी ‘ (1976), फारुख शेख, पूनम ढिल्लन स्टार ‘नूरी’ (1979) और ऋषि कपूर, विनोद खन्ना स्टारर और श्रीदेवी स्टारर ‘चांदनी’ (1989) जैसी फिल्में शामिल हैं।

गंगा सागर तलवार था असली नाम

सरहदी का जन्म 1933 में उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत में हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम गंगा सागर तलवार रखा था। बाद में फिल्मों में एंट्री से पहले सीमांत प्रांत के साथ अपना ताल्लुक बताने के लिए उन्होंने नाम बदलकर सागर सरहदी कर लिया था। वे उर्दू राइटर थे और उन्होंने कई छोटी कहानियां और प्ले भी लिखे थे।

कथिततौर पर विभाजन ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया। स्कूली शिक्षा पूरी कर सरहदी मुंबई आ गए थे, जहां उनके भाई कपड़े की दुकान चलाते थे। कॉलेज पूरी करने के बाद उन्होंने सिनेमा का रुख किया। उन्हें पहला ब्रेक ‘पत्नी’ (1970) से मिला था, जिसके डायरेक्टर वी. आर. नायडू थे। फिर उन्होंने बासु भट्टाचार्य की फिल्म ‘अनुभव’ (1971) के लिए डायलॉग लिखे थे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.