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पेट्रोल डीजल मैं टैक्स कम करने के बजाए केंद्र को नसीहत देते फिर रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, पढ़ें पूरी खबर

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रायपुर। पेट्रोल-डीजल की महंगाई की मार से आम जनता को राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सेस (उपकर) कम करने का सुझाव दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण्ा के साथ के साथ वर्चुअल बैठक में बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की है। इससे प्रदेश्ा को हर वर्ष करीब 500 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। सेस कम करने से राज्यों को कम नुकसान होगा और जनता को ज्यादा लाभ मिलेगा। बैठक के दौरान बघेल ने फिर एक बार धान से एथेनाल बनाने की अनुमति देने का आग्रह किया।

अफसरों के अनुसार केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारमण की अध्यक्षता में सोमवार को हुई वर्चुअल बैठक में सभी राज्यो के मुख्यमंत्री श्ाामिल हुए। इस दौरान बघेल ने केंद्रीय मंत्री से राज्य के कई वित्तीय मामलों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि राज्य ने केंद्र सरकार द्वारा प्रथम और द्वितीय तिमाही में निर्धारित पूंजीगत व्यय के 35 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा कर लिया है। एथेनाल उत्पादन को लेकर राज्य का पक्ष रखते हुए बघेल ने बताया कि राज्य में एथेनाल प्लांट लगाने के लिए 12 कंपनियों से एमओयू भी किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में गन्ना और मक्का से एथेनाल बनाने की अनुमति मिली है।

मुख्यमंत्री केंद्रीय वित्त मंत्री का ध्यान सेंट्रल पूल में जमा राज्य के हिस्से की कोल पेनाल्टी की 4140 करोड़ रुपये की ओर आकर्षित करते हुए इस लौटाने का आग्रह किया। बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, एसीएस सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव उद्योग मनोज पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, वित्त सचिव अलरमेल मंगई डी, सहकारिता विभाग के सचिव हिमशिखर गुप्ता, खाद्य विभाग के सचिव टीके वर्मा, राजस्व विभाग के सचिव एनएन एक्का, विशेष सचिव ऊर्जा अंकित आनंद, संचालक उद्योग अनिल टुटेजा, मार्कफेड की एमडी किरण कौशल, संचालक वित्त शारदा वर्मा सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

राजस्व घाटे को अनुदान में परिवर्तित करने का आग्रह

मुख्यमंत्री ने 15वें वित्त आयोग के राजस्व घाटे को अनुदान के रूप में परिवर्तित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 17 राज्यों को एक लाख 18 हजार 552 करोड़ का अनुदान पिछले वर्षों में राजस्व घाटे की पूर्ति के लिए दिया जा रहा है। इसे कोविड-19 के बाद राज्यों की प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहायता देने के लिए वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक राजस्व घाटे को आधार मानकर देना चाहिए।

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