नवरात्रि के इन नौ दिनों में माता का पूजन करने के दौरान हमें कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए
हिमांशु दास /जैसा कि आप सभी को पता है कि 26 सितंबर से नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में नवरात्र का बहुत अधिक महत्व है। लोग मातारानी की पूजा, उपासना में लगे हुए हैं। मातारानी की भक्ति में डूबे हुए हैं। हर तरफ जय मां, जय मां के जयकारे गंज रहे हैं। जगह- जगह नवरात्र में माता के पंडाल लगाए जाते हैं जहां दूर- दूर से भक्तगण माता के दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं। इन नौ दिनों में माता का पूजन करने के दौरान हमें कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए।
टूटा नारियल न करें प्रयोग- नवरात्रि के पहले दिन घरों में कलश स्थापना की जाती है कलश की स्थापना करने से पहले इस्तेमाल होने वाले नारियल की जांच कर लें, टूटे हुए नारियल का प्रयोग न करें।
न चढ़ाएं मदार का फूल – माता को लाल रंग के गुड़हल के फूल सबसे अधिक पसंद है। माता को कभी भी धतूरा, कनेर और मदार का फूल न चढ़ाएं।
अक्षत – पूजा में अक्षत का बहुत अधिक महत्व है। ऐसे में माता की पूजा करने से पहले देख लें कि पूजा में इस्तेमाल होने वाले अक्षत के दाने टूटे हुए न हों।
अनाज का सेवन न करें – व्रत के दौरान अनाज का सेवन न करें , जैसे गेंहू या चावल से बनें किसी भी चीज को न खाएं। खाने में साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
प्याज और लहसुन का प्रयोग करने से बचें – नवरात्र के दौरान माता को अलग- अलग भोग बनाकर चढ़ाएं। भोग में भूलकर भी प्याज और लहसुन का प्रयोग न करें।