रायपुर। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा है कि राज्य को चालू रबी सीजन के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से मांग के मुताबिक रासायनिक उर्वरक की आपूर्ति न करने के कारण छत्तीसगढ़ में किसानों को रासायनिक खाद को लेकर दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से बताया गया है कि चालू रबी सीजन के लिए विभिन्न प्रकार के कुल 7 लाख 50 हजार मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की डिमांड भारत सरकार से की गई है, लेकिन आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य को मात्र 3 लाख 20 हजार मेट्रिक टन उर्वरक ही मिला है।
डिमांड कोटे में केंद्र ने की 45 फीसद की कटौती:छत्तीसगढ़ सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार के जनसंपर्क विभाग की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि रासायनिक उर्वरक के डिमांड कोटे में 45 फीसद की कटौती भी केन्द्र सरकार ने कर दी है। 7 लाख 50 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध केन्द्र ने मात्र 4 लाख 11 हजार मेट्रिक टन उर्वरक प्रदाय किए जाने की स्वीकृति दी है। जिसके चलते राज्य में रासायनिक उर्वरक की कमी की स्थिति निर्मित हो गई है। इसके बावजूद भी राज्य के किसानों को रासायनिक उर्वरक की उपलब्धता के आधार पर सोसायटियों से खाद उपलब्ध कराई जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ से प्राप्त जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य को अब तक यूरिया 1,17,522 मेट्रिक टन प्राप्त हुआ है, जो राज्य की मांग का मात्र 34 प्रतिशत है। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य को मांग का डीएपी मात्र 28 प्रतिशत, पोटाश 53 प्रतिशत, एनपीके काम्प्लेक्स 43 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
केंद्र सरकार जिम्मेदारियों से बच रही है: सुशील आनंद शुक्ला
खाद की कमी के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने अपने बयान में कहा कि केंद्र की मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में मोदी सरकार सत्ता पर काबिज हुई है, तब से वह अपनी जिम्मेदारियों से भागने का काम कर रही है। सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि किसानों को खाद की आपूर्ति करने की जगह केंद्र सरकार ने उसमें लगभग 40% की कटौती कर दी है। जिसका खामियाजा छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश के कई अन्य राज्यों के किसान भी भुगत रहे हैं।
सरकार के संरक्षण में हो रही खाद की कालाबाजारी: धरमलाल कौशिक
इधर केंद्र सरकार पर लगाये गए आरोपों पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भूपेश सरकार पर पलटवार करते हुए कहा है कि भूपेश सरकार का काम केवल केंद्र सरकार पर आरोप लगाना ही रह गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश बनने के बाद रबी फसल के लिए डीएपी और यूरिया की कभी कमी नहीं हुई थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद स्थिति दुर्भाग्यजनक हो गई है। कौशिक ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में साल दर साल खाद का संकट बढ़ता ही जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि भूपेश सरकार के संरक्षण में पूरे राज्य में खाद की ब्लैक मार्केटिंग हुई है।
क्या कहना है किसानों का ?
इधर छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से बयान जारी करके कहा गया है कि राज्य भर के अधिकांश क्षेत्रों में खाद की कमी के चलते किसान यहां वहां भटक रहे हैं और अधिकारियों के ऑफिसों में शिकायत करते फिर रहे हैं। लेकिन सरकार के संबधित लोगों की तरफ से कोई पहल नहीं हो रही है। लिहाजा किसान निजी दुकानों से डेढ़ से दो गुना अधिक कीमत में खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
राज्य आंदोलनकारी छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष अनिल दुबे ने खाद की कालाबाजारी में छत्तीसगढ़ सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा है कि जब सरकारी गोदाम में खाद की कमी है, तब निजी गोदामों में खाद भरी पड़ी है। किसानों की शिकायत करने के बाद भी सम्बंधित अधिकारी उन पर कार्यवाही क्यों नहीं करते हैं? इससे साफ जाहिर होता है कि शासन के संबंधित लोग की खाद की कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों से कमीशन की मिली भगत है। किसान मोर्चा के नेताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि एक तरफ सरकार दलहन तिलहन की फसल की रकबा बढ़ाने की बात करती है। वहीं दूसरी तरफ किसान नकली बीज, खाद, दवाई और कालाबाजारी के शिकार हो रहे हैं।