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दस मिनट देर से पहुंचे बच्चे तो प्राचार्य व शिक्षकों ने स्कूल में नहीं दिया प्रवेश… गेट के बाहर इंतजार कर लौटे वापस घर

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दूसरे दिन छात्रों ने स्कूल के बाहर किया धरना प्रदर्शन

सुरजपुर-मोहिबुल हसन….ठंढ में सुबह दस मिनट की देर से स्कूल पहुंचना बच्चों को इतना भारी पड़ गया कि उन्हें स्कूल में प्रवेश से ही वंचित कर दिया गया। प्राचार्य एवं अन्य शिक्षक के आदेश पर देर से स्कूल पहुंचने वाले बच्चों के लिए प्रवेश द्वारा बंद कर गेट में ताला जड़ दिया गया। जिसके कारण सरकारी स्कूल में पढऩे में वाले बच्चे मायूस होकर घण्टे इंतजार कर वापस अपने-अपने घर लौट गए। जिसका वीडियो छात्रो के बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है।

यह पूरा मामला शासकीय हाई स्कूल करंजी का है, जहां कि प्राचार्य वीके नंदी अपनी कारगुजारियों के अक्सर विवादों में रहती हैं। इस बार प्राचार्य ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए 10 मिनट लेट से स्कूल पहुंचे लगभग 30 बच्चों को स्कूल के भीतर प्रवेश नहीं दिया। दरअसल सरकारी स्कूलों के संचालन का समय सुबह 10:00 बजे से निर्धारित है। इसलिए सुबह शासकीय हाई स्कूल में पढऩे वाले लगभग 30 बच्चे 10 बजे की बजाए 10 मिनट लेट से स्कूल पहुंचे थे। जिन्हें स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। प्राचार्य के आदेश से बच्चों को गेट के बाहर कर उसमें ताला जड़ दिया गया। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित रही। इसकी सूचना पर क्षेत्र के अन्य जानगरूक लोग प्राचार्य से चर्चा करने स्कूल पहुंचे थे, जिसे स्कूल के भृत्य ने भीतर आने नहीं दिया।

प्राचार्य के खिलाफ लापरवाही और मनमानी की शिकायत उसने पूर्व में की थी, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्राचार्य के इस रवैय्ये से अभिभावक व स्थानीय ग्रामीणों में नाराजगी है।

लेट आने पर वापस भेजने का कोई आदेश नही

निजी हो या सरकारी बच्चों के स्कूल पहुंचने पर उन्हें वापस लौटा देने का कोई नियम नहीं है। ना ही इस विषय में कोई लिखित आदेश है। बावजूद इसके बच्चों को स्कूल से किस नियम के तहत वापस भेजा गया, यह सवाल उठ रहा है। ज्यादातर प्राचार्य अक्सर किसी भी कार्य के लिए लिखित आदेश की बात कहते हैं, लेकिन इस मामले में बिना किसी आदेश के बच्चों को वापस भेज दिया गया। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले निचले व गरीब तबके से आते हैं। इसलिए बात जब इनके अधिकार की हो तब नियमों को अपने अनुसार इस्तेमाल कर लिया जाता है। जबकि ऐसा यदि किसी निजी स्कूल के प्राचार्य ने किया होता तो निश्चित तौर पर बवाल मच गया होता।

शिक्षकों की मांग

शिक्षकों की मांग को लेकर विद्यार्थियों ने शुक्रवार को विद्यालय के बाहर करीब 5 घंटे तक धरने पर बैठकर विरोध-प्रदर्शन किया। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। छात्र छात्राओं का कहना है कि जब तक विद्यालय में फिजिक्स, केमिस्ट्री, पीटीआई एवं विषय के शिक्षक नहीं आते हम विद्यालय में प्रवेश नही करेंगे।

जानकारी आप के माध्यम से प्राप्त हुई है मैं जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत कराता हूं।
कलेक्टर सूरजपुर, गौरव कुमार सिंह।

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