अम्बिकापुर- अम्बिकापुर के सबसे विवादित शासकीय अंग्रेज़ी शराब दुकान गड़ाघाट में लंबे समय से पिछले दरवाजे से तय कीमत से ज्यादा पैसे लेकर शराब बेची जा रही थी। सूत्रों के अनुसार जिला आबकारी अधिकारी की शह पर इस दुकान का सुपरवाइजर आलोक गुप्ता अपने कर्मचारियों पर दबाव बना कर बिना ऑनलाइन ऑर्डर के ज्यादा दामों पर शराब बिकवा रहा था। शनिवार की शाम वार्ड वासियों की शिकायत पर दुकान पहुँच कर नगर निगम अम्बिकापुर के वार्ड पार्षद सतीश बारी नें कर्मचारियों की इस करतूत का वीडियो बना कर एसडीएम से शिकायत की। तहसीलदार ऋतुराज बिसेन नें वहाँ पहुंचकर कर्मचारिओं से पूछताछ की और मामले की जांच के लिए आबकारी उप निरीक्षक को निर्देशित किया है।
वार्ड क्रमांक 22 के पार्षद सतीश बारी नें बताया कि उन्हें शिकायत मिली थी कि गड़ाघाट शराब दुकान में 5 बजे के बाद भी पैसे लेकर शराब बेची जा रही है। यही नहीं उन्हें यह भी शिकायत मिली थी कि यहां का सुपरवाइजर और कर्मचारी शराब प्रेमियों को तय डेढ़ गुनी और दोगुनी कीमत पर शराब बेच रहे हैं। पार्षद सतीश बारी नें यहाँ पहुंचकर शराब लेने आये लोगों से भी बातचीत की जिसमें कई ग्राहकों नें बताया कि उनसे तय कीमत से ज्यादा रुपये शराब के लिए लिए गए हैं। उन्होनें पैसे लेकर शराब बेचते कर्मचारियों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की है। उन्होनें इस बात की शिकायत जिला प्रशासन से की और जाँच की मांग की है। सतीश बारी नें इस बात की शिकायत मंत्री से भी करने की बात कही है।
लंबे समय से ऑनलाईन की आड़ में चल रहे इस गोरखधंधे की शिकायत आबकारी उपनिरीक्षक धर्मेन्द्र शुक्ला और उड़नदस्ता प्रभारी प्रवीण वर्मा से भी की गई थी लेकिन उनकी गुप्त मजबूरियों नें उन्हें किसी तरह की कार्रवाई के करने से रोक रखा था। लेकिन जब आज ऐसी शिकायत दोबारा सामने आई और जिला प्रशासन को भी पूरे मामले में संज्ञान लेना पड़ा तब उपनिरीक्षक यह कह रहे हैं कि वीडियो में पैसे लेकर शराब देते व्यक्ति के खिलाफ वह कार्रवाई के लिए मजबूर हैं। और आपको बता दें कि वह महाशय जिसके ख़िलाफ़ एक्शन लेने की घोषणा करते हुए गर्व की अद्भुत अनुभूतियों से ओत- प्रोत हो रहे हैं वह कोई और नहीं बल्कि उस दुकान का एक सुरक्षाकर्मी है। अब इनसे कोई यह भी तो पूछे कि सुरक्षाकर्मी को शराब बेचने की इजाजत किसने दी?
क्या उसके पास इतना अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से शराब लाकर लोगों को मनमानी कीमत पर बेच सके। ख़ैर असल जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से मजबूर होने पर ऐसे अधिकारीगण बेतुकी बयानबाजी करते ही हैं।ऐसे में छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर मामले का रफादफा करने का यह पुराना चलन भी है।