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छत्तीसगढ़ में चुनाव की उलटी गिनती शुरू, परिवारवाद पर नकेल कसेगी भाजपा?

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रायपुर । छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेताओं के माथे पर इस समय चिंता की लकीरें खींची हुई हैं। उन्हें अपने राजनीतिक वारिसों के भविष्य की चिंता सताने लगी है। दरअसल हाल ही में पीएम नरेन्द्र मोदी ने देशभर के भाजपा नेताओं के परिजनों से चुनावी राजनीति में ना उतरने की अपील की थी। प्रधानमंत्री के इस संदेश का असर अब छत्तीसगढ़ में कई दिग्गज भाजपा नेताओं के लिए चिंता का सबब बन गया है।

केंद्रीय संगठन की तरफ से रखी जा रही है नजर
छत्तीसगढ़ में भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी प्रदेश के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को पीएम के इस संदेश से वाकिफ कराते हुए उन्हें अपने दम पर राजनीति करने की सीख देती दिख रहीं है। वहीं अपने पुत्र-पुत्रियों को राजनीति के मैदान में उतराने की तैयारी कर चुके कई वरिष्ठ नेताओं की प्लानिंग अब ध्वस्त होती नजर आ रही है। प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी भी छत्तीसगढ़ में भाजपा के कार्यकर्ताओं से अलग-अलग बैठकों में यह कह चुकी हैं कि जो कार्यकर्ता परिवारवाद की राजनीति से दूर हैं, उनपर केंद्रीय संगठन के निर्देश के मुताबिक नजर रखी जा रही है।

जमीनी स्तर पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं में बढ़ा उत्साह
नेता पुत्र-पुत्रियों की टिकट रुकने की उम्मीद जागने के बाद जमीनी स्तर पर लम्बे समय तक संघर्ष करने वाले कई अन्य भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ गया है। बड़े नेताओं और परिवारवाद के कारण मौका ना मिलने से कई प्रतिभाशाली नेताओं का उदय होने से पहले अस्त हो जाता है। परिवार के दम पर सियासत ना करके खुद ही अपनी जमीन तलाशने के लिए संघर्ष करने वाले भाजपा से जुड़े नेताओं को पीएम मोदी का संदेश उम्मीद लेकर आया है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें भी टिकट मिल सकती है। हालांकि कोई भी अपनी उम्मीदों को खुलकर जाहिर नहीं करना चाहता है।

पूर्व मंत्रियों की उम्मीद पर फिर सकता है पानी
15 साल तक छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री रहे कई नेताओं के परिजन चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे। राज्यसभा सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल समेत कई नेता कई वरिष्ठ नेता अगले चुनाव के दौरान अपने परिजनों को सक्रीय राजनीति में लांच करने की तैयारी कर रहे हैं। अगर भाजपा पीएम मोदी के मंत्र पर टिकी रहती है, तो इन वरिष्ठ नेताओं और उनके परिजनों के लिए बड़ा झटका होगा।

जो हैं परिवारवाद की ही देन, उनमे भी चिंता कम नहीं
भाजपा इन दिनों बस्तर में काफी सक्रिय नजर आ रही है। ऐसे में भाजपा में बस्तर के दो प्रमुख ऐसे चेहरे जो परिवारवाद की ही देन हैं, उनकी भी चिंता बढ़ती नजर आ रही है। दिवंगत भाजपा नेता बलीराम कश्यप के पुत्र केदार कश्यप रमन सरकार में मंत्री रहे हैं, जबकि उनके भाई दिनेश कश्यप विधायक रहने के साथ ही बस्तर सांसद भी रह चुके हैं। ऐसे में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि पार्टी इस परिवार से इतर जाकर भी विकल्प तलाश कर सकती है।

इधर दुर्ग संभाग में दिवंगत नेता ताराचंद साहूके पुत्र दीपक साहू के स्थान पर भी नए चेहरे की तलाश जारी है। यह जानना भी जरुरी है कि छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सीएम रहे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह को भी भाजपा ने चुनावी राजनीति में लांच किया था। अभिषेक सिंह राजनांदगाव से भाजपा सांसद रह चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्हें भी विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही थी।

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