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छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों की बदहाली और बंदी का सच क्या शिक्षा का भविष्य बंद हो रहा है?

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(IRN.24…राधे यादव भैयाथान)

छत्तीसगढ़/ में इन दिनों एक गंभीर बहस चल रही है – सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है।सरकार का तर्क है: कम उपस्थिति, संसाधनों की बर्बादी, और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ‘संघनन’ यानी मर्जर।लेकिन सवाल ये उठता है –क्या स्कूल बंद करने से शिक्षा सुधरेगी, या गांव का भविष्य ही अंधेरे में चला जाएगा?शिक्षा का अभावस्कूल बंद क्यों किए जा रहे हैं?राज्य सरकार का कहना है:कई स्कूलों में बच्चों की संख्या 10 से भी कम हैएक शिक्षक, कई कक्षाएं पढ़ा रहे हैंपढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा हैसंसाधनों का वितरण असंतुलित हैइसीलिए सरकार कहती है कि इन स्कूलों को आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज करके सामूहिक संसाधनों और शिक्षकों का उपयोग किया जाए।—लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और हैकई गांवों में बच्चों को रोज़ाना 3–5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ रहा हैजिन स्कूलों में मर्ज किया गया है, वहां अतिरिक्त बच्चे, लेकिन वही पुराने शिक्षक और कमरेगांव की बेटियों के लिए दूर स्कूल जाना सुरक्षा और सामाजिक बाधा बनता हैबंद स्कूल के आसपास की गांव की पहचान ही खत्म हो जाती हैजर्जर स्कूलों में पढ़ने पर मजबूर बच्चेआखिर सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खराब क्यों?1. बुनियादी ढांचे की कमी: टॉयलेट नहीं, पीने का पानी नहीं, लाइब्रेरी और लैब का नामोनिशान नहीं2. शिक्षकों की भारी कमी: एक ही शिक्षक पूरे स्कूल को संभाल रहा है3. अधूरी योजनाएं: मिड डे मील, यूनिफॉर्म, छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं में गड़बड़ी4. नीतिगत असफलताएं: योजनाएं बनती हैं, लेकिन नीचे तक ईमानदारी से लागू नहीं होतीं—जब शिक्षक ही अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजें, तो सवाल उठते हैं…एक बहुत बड़ा सवाल यह है कि –> अगर शिक्षक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में न पढ़ाएं, तो आम जनता कैसे भरोसा करे?यह सीधे तौर पर सरकारी शिक्षा तंत्र पर अविश्वास का प्रतीक बन गया है।छत्तीसगढ़ के स्कूलों में हाईटेक व्यवस्था होनी चाहिएसमाधान क्या हो सकता है? (नई तकनीक और सोच के साथ)सरकारी स्कूलों को सुधारा जा सकता है – और तकनीक इसका बड़ा हथियार बन सकती है:

✅ डिजिटल क्लासरूम:इंटरनेट और स्मार्ट टीवी के जरिए एक शिक्षक कई स्कूलों को पढ़ा सकता हैऑनलाइन कंटेंट, एनिमेशन से बच्चों की रुचि बढ़ेगी

✅ मोबाइल लर्निंग ऐप्स:बच्चों के अभिभावकों को WhatsApp या SMS से होमवर्क, नोट्स, वीडियो भेजे जाएं

✅ समुदाय की भागीदारी:गांव के लोग खुद स्कूल सुधार समिति में एक्टिव रोल लेंरिटायर्ड शिक्षक, युवा वॉलंटियर मिलकर बच्चों को पढ़ाएं

✅ शिक्षक जवाबदेही:हर शिक्षक को अपना पढ़ाने का रिपोर्ट कार्ड देना पड़ेअगर शिक्षक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाएं, तो बाकी लोग भी जुड़ेंगे— निष्कर्ष:- क्या हमें स्कूल बंद करने चाहिए या शिक्षा को फिर से खड़ा करना चाहिए?सरकारी स्कूलों की बदहाली कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसका समाधान “बंद करना” नहीं है।हमें नए विचार, तकनीक, और जवाबदेही के साथ एक ऐसा तंत्र खड़ा करना होगा, जिसमें गांव के बच्चे भी सपना देख सकें – डॉक्टर बनने का, वैज्ञानिक बनने का, या पत्रकार बनने का!> “अगर गांव का स्कूल बंद हो गया, तो गांव का भविष्य भी बंद हो जाएगा।”—✔️ आप क्या सोचते हैं?क्या आपके गांव का स्कूल बंद हुआ है?क्या आपके बच्चों को अब दूर स्कूल जाना पड़ता है?

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