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गुजरात और बिहार जाकर सीखेंगे कवासी लखमा ,कैसे होगी छत्तीसगढ़ में शराबबंदी !

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रायपुर । छत्तीसगढ़ में शराबबंदी कब होगी, इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है, क्योंकि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने वादा किया था कि छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी की जाएगी। भूपेश बघेल सरकार ने अपने जनघोषणा पत्र में किये वादों में से अधिकांश पूरे कर दिए हैं, लेकिन अधूरे वादों में से पूर्ण शराबबंदी किये जाने का वादा अब तक पूरा नहीं कर सकी है। भूपेश बघेल सरकार ने शराबबंदी करने के लिए 3 अध्ययन समितियों का गठन किया था, लेकिन उनसे बात नहीं बन पाई, तो अब सूबे के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने खुद बिहार जाकर शराबबंदी के फार्मूले को समझने की बात कही है ।

शराबबंदी करने वाले राज्यों की नीति समझकर ही छत्तीसगढ़ में की जा सकती है शराबबंदी लागू

2018 में छत्तीसगढ़ कि सत्ता पर कब्जा जमाने वाली कांग्रेस ने अब तक राज्य में पूर्ण शराबबंदी किये जाने का वादा पूरा नहीं किया है। अब लगभग साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद कांग्रेस यह जानना चाहती है कि बिहार में शराबबंदी सफल हो सकी है कि नहीं। बिहार और गुजरात में शराबबंदी की स्थिति का जायजा लेने भूपेश सरकार के आबकारी मंत्री कवासी लखमा जल्द ही इन राज्यों की राजधानी जायेंगे। वह यह जानने का प्रयास करेंगे कि गुजरात और बिहार की सरकार अपने राज्य में शराबबंदी पर किस तरह काम कर रही है। कवासी लखमा ने गुरुवार को मीडिया से चर्चा के दौरान जानकारी देते हुए कहा कि शराबबंदी करने वाले इन राज्यों की नीति को समझकर ही छत्तीसगढ़ में शराबबंदी लागू की जा सकती है।

छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि राज्य में शराबबंदी लोगों के सुझाव के बाद ही लागू की जाएगी, क्योंकि छत्तीसगढ़ 7 राज्यों से घिरा हुआ है, इसलिए शराबबंदी का सभी राज्यों पर क्या असर होगा, यह जानना भी जरुरी है। उन्होने कहा कि जिस राज्य में शराबबंदी की गई है, वहां आदिवासी समाज के काफी लोग जेल में है, लिहाजा हर स्थिति पर ध्यान देते हुए ही आगे कुछ किया जायेगा ।

पूरे प्रदेश में शराबबंदी करने से इंकार करती नजर आ रही है भूपेश बघेल सरकार

छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग को आदिवासी बाहुल्य माना जाता है, क्योंकि शराब आदिवासी समाज की संस्कृति का हिस्सा होती है, इसलिए भूपेश बघेल सरकार अब पूरे प्रदेश में शराबबंदी करने से इंकार करती नजर आ रही है। मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि बस्तर में शराबबंदी को शायद ही लागू किया जायेगा, क्योंकि आदिवासी संस्कृति में शराब का सेवन किया जाता हैं। बस्तर पांचवीं अनुसूची क्षेत्र है इसलिए वहां ग्राम पंचायत के फैसले के मुताबिक ही कुछ सम्भव है।

शराब के पैसों से अच्छे काम हो रहे हैं:मंत्री कवासी लखमा

वहीं आबकारी मंत्री लखमा ने शराब पर बड़ा ही रोचक बयान देते हुए कहा कि शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व से छत्तीसगढ़ में रोजगार, नौकरी के मौके पैदा किए जा रहे हैं, राज्य में जरूरतमंदों को पेंशन दी जा रही है, पिछड़े इलाकों में सड़कें बनाई जा रही हैं। शराब के पैसों से विकास से जुड़े अच्छे काम हो रहे हैं, तो ऐसे में किसी के पेट में दर्द नहीं होना चाहिए।

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