सूरजपुर, छत्तीसगढ़ का एक ऐसा वन मंडल जो आज कहीं ना कहीं निरंकुश, बेलगाम और मात्र बिल वाउचर और नोट सीट बनाने में लगा हुआ है नतीजतन बिना परमिशन के जंगल की जमीन पर ओएफसी केबल बिछाए जा रहे हैं, जंगलों की बेतहाशा कटाई हो रही है जिसकी वजह से हाथियों का दल गांव में घुस रहा है इतना ही नहीं जिस जंगल और वन्य प्राणियों के चलते विभाग का अस्तित्व है उसी जंगल और इसमें निवासरत वन्यजीवों के प्रति उनकी लापरवाही स्पष्ट झलक रही है,,, वर्तमान जैसी स्थिति पूर्व में इस वन मंडल और इसके वन परीक्षेत्रों की कभी नहीं थी।
इसका ज्वलंत उदाहरण प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के बगड़ा गांव में हाथियों का घुसकर फसलों की क्षति के साथ मानव जीवन को भी संकट में डालना है,,, ग्रामीणों के द्वारा सूचना के बाद भी वन अमला दो कर्मचारियों को भेज कर खानापूर्ति करने में जुटा हुआ है वही हाथियों का दल ददुरा पारा में गन्ने तथा मक्के की फसलों को चौपट कर रहा है। इसके नुकसान पर मुआवजा देने में भी जिम्मेदार अधिकारी खुद के लिए फंडिंग करते हैं ऐसा आरोप ग्रामीणों ने लगाया है,,, वहीं दूसरी ओर शान हाथी प्रबंधन पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करता है किंतु यह पैसा कहां जा रहा है बहुत ही बड़े जांच का विषय है,, अब देखना होगा वन विभाग की ऐसी नाकामियों को जिम्मेदार कैसे देखते हैं और करवाई जनहित में करने की क्या कुछ सोच होती है।
बहरहाल हाथियों का दल फसलों को नुकसान करने में जुटा हुआ है।