Indian Republic News

क्या झीरमघाटी कांड का सच आएगा सामने ? भूपेश बघेल सरकार करेगी नए सिरे से जांच !

0

- Advertisement -

रायपुर । छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार अब 25 मई 2013 को हुए झीरमघाटी नक्सल हमले की जांच करवाने के लिए स्वतंत्र हो चुकी है,इसी के साथ भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। भाजपा देश किस सबसे बड़ी जांच एजेंसी की जांच के आधार पर झीरमघाटी कांड को एक नक्सल हमला मानकर चल रही है,जबकि कांग्रेस का मानना है कि यह घटना विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को कमजोर करने के लिए रची गई एक राजनितिक साजिश थी। इन सबके बीच यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या भूपेश सरकार झीरमघाटी का सच जनता के सामने ला पायेगी?

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने कहा,छत्तीसगढ़ सरकार करवा सकती है झीरम कांड की जांच
हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जांच के संबंध में एनआईए की तरफ से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने झीरम हमले में जान गंवाने वाले कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार की याचिका को स्वीकार कर लिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ सरकार अब अपनी एजेंसी से घटना की जांच कराने के लिए स्वतंत्र है। NIA ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि वह झीरमघाटी हत्याकांड की जांच करने के लिए सक्षम है, तो राज्य सरकार की एजेंसी इसकी जाँच क्यों कर रही है। इसपर रोक लगनी चाहिए,क्योंकि दिशा भटकने से जांच प्रभावित होगी।

गौरतलब है कि 25 मई 2013 को कांग्रेस नेताओं का काफिला अपने चुनावी अभियान परिवर्तन यात्रा पर निकला हुआ था। इसी दौरान सुकमा के झीरम घाटी क्षेत्र से करीब 25 गाड़ियों में निकल रहे ,200 कांग्रेस नेताओं के पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था। इस घटना में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा ,विद्याचरण शुक्ल समेत कई नेताओं की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। कांग्रेस इसे राजनीतिक षड्यंत्र मानती है। इसी वजह से राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की जांच बंद होने के बाद ,सत्ता पर काबिज होते ही बघेल सरकार ने SIT गठित करके झीरम कांड की जांच कराने का फैसला लिया था।

झीरम हत्याकांड के षड्यंत्र का होगा पर्दाफाश:सुशील आनंद शुक्ला
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद झीरम का सच सामने लाने तथा दोषियों को सजा दिलवाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। भारतीय जनता पार्टी एसआईटी के गठन के बाद से ही घबरा गई थी। उसने जीरम की जांच रोकने के लिए तमाम षड्यंत्र किया। भाजपा की केंद्र सरकार एनआईए से झीरम की फाइल एसआईटी को नहीं देने दे रही थी। माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के बाद जीरम के पीड़ित परिवारों में भी न्याय की आस जगी है।

कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की जब तक प्रदेश में सरकार थी वह जीरम की जांच को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती थी। झीरम की जांच के लिए जो न्यायिक आयोग बना उसके जांच के दायरे में घटना के पीछे के षड्यंत्र को नहीं शामिल किया गया था। पीड़ित परिवार के लोग सीबीआई जांच चाहते थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह उसमें भी बाधक बन हुए थे। विधानसभा मे घोषणा के बाद भी जांच की अनुशंषा नहीं किया।
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झीरम की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी की जांच भाजपा और उसकी केंद्र सरकार क्यों रोकना चाहती है? इस बड़ा सवाल है जिसका जबाब भाजपा से प्रदेश की जनता जानना चाहती है।

कांग्रेस नहीं करा सकती निष्पक्ष जांच: संजय श्रीवास्तव
इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने झीरम घाटी नक्सली हमले के मामले में उच्च न्यायालय के फ़ैसले के मद्देनज़र कांग्रेस के बयान पर पलटवार कर कहा है कि भाजपा यह चाहती है कि झीरम का सच शीघ्रातिशीघ्र सामने आए और पीड़ितों को न्याय मिले तथा प्रदेश ऊहापोह से उबरे। श्रीवास्तव ने सवाल किया कि आख़िर कांग्रेस झीरम मामले की जाँच को लटकाना क्यों चाहती है?

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने ही राष्ट्रीय जाँच एजेंसी का गठन किया था और झीरम मामले की जाँच का ज़िम्मा भी कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ही एनआईए को सौंपा था। अब मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस नेता यह बताएँ कि क्या उन्हें अपनी तत्कालीन केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है या फिर प्रदेश सरकार और कांग्रेस जानबूझकर सच को सामने नहीं आने देना चाहती? झीरम मामले में कांग्रेस का रुख़ हमेशा संदेह के दायरों में ही रहा है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य शासन भी झीरम मामले को ‘एक वृहद राजनीतिक षड्यंत्र’ मानता है, इसलिए राज्य पुलिस से इसकी निष्पक्ष जाँच की उम्मीद नहीं की जा सकती और इसलिए इसकी निष्पक्ष और सक्षम केंद्रीय एजेंसी से ही जाँच कराई जानी चाहिए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.