(Irn24,राधे यादव)
सूरजपुर जिले के विकासखंड भैयाथान के सिरसी उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण आज भी कागज़ों तक सीमित है। कांग्रेस शासनकाल में इस केंद्र के लिए भूमि पूजन किया गया था, लेकिन वर्षों बीतने के बाद भी भवन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। अब क्षेत्र के लोग सवाल उठा रहे हैं कि “क्या यह भवन भी कागज़ों में सीमेंट होकर रह जाएगा, या सुशासन की सरकार इसे ज़मीनी हकीकत बनाएगी?”
कई गांव की उम्मीदें जुड़ीं
यदि भवन बनकर तैयार हो जाए तो रगदा, चोपन, सिरसी और आसपास के कई गांव के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी। वर्तमान में ग्रामीणों को मामूली इलाज के लिए भी दूर स्थित अस्पतालों तक जाना पड़ता है, जिससे समय और पैसे दोनों का नुकसान होता है।
राजनीति और वादों की जंग
कांग्रेस की सरकार ने इस भवन का भूमि पूजन किया था, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ सका। अब सत्ता पक्ष पर ग्रामीणों का दबाव है कि वह स्वास्थ्य सुविधा को राजनीति से ऊपर रखकर भवन निर्माण कार्य तत्काल शुरू करे। ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में जनहित में काम करना चाहती है तो इस भवन के निर्माण को प्राथमिकता दे और काम जल्द पूरा करे।
स्वास्थ्य सुविधा से जुड़े फायदे
भवन तैयार हो जाने पर न सिर्फ़ सामान्य बीमारियों का इलाज यहीं हो सकेगा, बल्कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण, आपातकालीन प्राथमिक उपचार और कई सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ भी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो सकेगा।
अस्थायी जगह में बदहाल संचालन
फिलहाल उप स्वास्थ्य केंद्र को मिडिल स्कूल के अतिरिक्त कक्ष में अस्थायी रूप से संचालित किया जा रहा है, लेकिन वहां की स्थिति भी बेहद जर्जर है। एक मरीज ने बताया, “मेरे ठीक बगल में छत का कुछ हिस्सा और प्लास्टर गिर गया, बाल-बाल बचा।” इस घटना ने भवन की बदहाली और वहां इलाज कराने वालों की जान जोखिम में होने की हकीकत सामने रख दी है।
निर्माण रुकने पर उठा विवाद
एक स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि कांग्रेस सरकार द्वारा जारी भवन निर्माण की स्वीकृति का आदेश बीजेपी सरकार आने के बाद निरस्त कर दिया गया। उनका सवाल है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ राजनीति करना कहां तक उचित है? उन्होंने अंदेशा जताया कि मामला टेंडर से जुड़ा हो सकता है — संभव है कांग्रेस शासन में किसी को टेंडर मिल गया हो, और बीजेपी सरकार ने उसे रोक दिया हो। यह राजनीतिक खींचतान सीधे तौर पर ग्रामीणों की ज़रूरतों पर असर डाल रही है।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने साफ़ शब्दों में कहा है कि सत्ता पक्ष को इसे सिर्फ़ चुनावी वादा न बनाकर ज़मीनी स्तर पर पूरा करना चाहिए। “वोट की राजनीति से ऊपर उठकर जनता की ज़रूरतें पूरी की जाएं, तभी इसे सुशासन कहा जा सकता है,” ग्रामीणों ने कहा।