इंडियन रिपब्लिक / उत्तर प्रदेश भाजपा में असंतोष की खबरों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंच गए हैं। वे आज गृह मंत्री अमित शाह से मिलें और राज्य के हालातों पर चर्चा की। वे कल सुबह 10:45 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और इसके बाद दोपहर 12:30 बजे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलेंगे।
उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए इन बैठकों को बेहद अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोविड महामारी को संभालने के तरीके को लेकर अपनी ही पार्टी के नेताओं की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश भाजपा के एक धड़े का मानना है कि योगी ने महामारी को अच्छे से नहीं संभाला और पार्टी को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
कुछ नेता काम करने के उनके “तानाशाही” रवैये से भी खुश नहीं हैं।
असंतोष की इन खबरों के बीच भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक दो सदस्यीय पैनल राज्य भेजा था जिसने पार्टी नेताओं ने विस्तृत फीडबैक लिया था और स्थिति की समीक्षा की थी। भाजपा की पैतृक संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी ऐसी ही समीक्षा की थी और इसमें महामारी का सरकार पर नकारात्मक असर पड़ने की बात सामने आई थी। RSS ने इसका असर 2024 लोकसभा चुनाव पर पड़ने की आशंका भी जताई थी।
इन फीडबैक के बाद बीते दिनों योगी की कुर्सी खतरे में होने की खबरें भी सामने आई थीं, हालांकि भाजपा ने इन खबरों को खारिज कर दिया था। इसी हफ्ते पार्टी ने कहा था कि राज्य में सरकार और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा और पार्टी अगले साल योगी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी।
हालांकि डैमेज कंट्रोल के लिए धार्मिक और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट का विस्तार किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री और अमित शाह के साथ योगी की बैठकों में एक मुद्दा कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद की भाजपा में एंट्री का भी रह सकता है। प्रसाद को राज्य की ब्राह्मण राजनीति का एक बड़ा चेहरा माना जाता है और भाजपा उनके जरिए नाराज ब्राह्मण वोट बैंक को साधना चाहती है। दरअसल, योगी ठाकुर समुदाय से आते हैं और ब्राह्मण समुदाय से आने वाले विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से ब्राह्मण भाजपा से नाराज चल रहे हैं।