डॉ. प्रताप नारायण / अपने विरुद्ध कायम अपराध तथा कई जन शिकायतोंं से बचने कोरिया जिले के पटना थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक ने एक अजीब तरीका ढूंढ निकाला जिससे जिले के पुलिस कप्तान या आला अधिकारियोंं की नजर ना पड़ सके, पुलिस थाना पटना में पदस्थ प्रधान आरक्षक जिले के ईमानदार पुलिसिंग की मिसाल माने जाने वाले डीएसपी के यहां स्वयं ही काम करने की मोखिक अनुमति लेकर काम करने चले गए। बताया जा रहा है की डीएसपी धीरेंद्र पटेल जो जिले के ईमानदार डीएसपी के रूप में जाने जाते हैं उनके यहाँ रीडर के पद पर कार्य करने वाले कि जरूरत थी। पटना पुलिस थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक अपने ही कार्यप्रणाली से जिससे लोग त्रस्त होकर उनकी लगातार शिकायत कर रहे थे उससे बचने के लिए खुद ही जाकर अपनी सहमति रीडर के रूप में काम करना शुरू कर दिये। सूत्रों के अनुसार पटना थाना से जाने के लिए कोई भी आदेश नहीं हुआ है मौखिक आदेश पर प्रधान आरक्षक डीएसपी साहब के लीडर बनने चल पड़े हैं जानकारी यह भी है की डीएसपी साहब के रीडर के साथ दुर्घटना हो गई है जिस वजह से वह अभी नहीं आ पा रहे, इसी बीच प्रधान आरक्षक की शिकायतें भी खूब हो रही थी, उससे बचने के लिए बिना आदेश यह डीएसपी साहब के रीडर बनने मौखिक आदेश पर पहुंच गए, आश्चर्य की बात तो यह है कि डीएसपी साहब खुद इतने ईमानदार हैं और उन्हें जिले में कई ईमानदार प्रधान आरक्षक मिल जाएंगे जो उनके साथ ईमानदारी से काम करेंगे ऐसे में इस प्रधान आरक्षक को बुलाना भी संदेह पैदा करता है, अब देखना है कि उच्च अधिकारी इसे किस प्रकार देखते हैं।
प्रधान आरक्षक अब कितने दिन वहां काम करते हैं यह देखने वाली बात होगी लेकिन अब विभाग में ही चर्चा है कि वह खुद को अपनी हो रही शिकायतों से बचाने के लिए इस तरह दूसरी जगह काम करने की सहमति दे दिए जिससे उनकी शिकायतों पर पुलिस अधीक्षक सज्ञान न ले पाएं और वह अपने ऊपर लग रहे आरोपों से कुछ दिन की रोक लगा सकें। वैसे यह जिले के एक ऐसे प्रधान आरक्षक हैं जिनके ऊपर 200 से ज्यादा शिकायतें हो चूंकि हैं जिनमे से कुछ मामले में निराकरण नहीं हुआ है और जिन्हें ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी में हैं ये और वहीं कुछ मामलों को यह किसी न किसी तरह दबा चुके हैं या खात्मा करा चुके हैं। यह जहाँ रहते हैं वहीं इनकी शिकायतों का अंबार लग जाता है। वैसे इसबार इन्होंने पटना थाने में खुद पर रोज लग रहे आरोपों से बचने के लिए नया पैंतरा अपनाया है, खुद को बचाने इन्होंने एक ऐसे अधिकारी का सहारा लेने का प्रयास किया है जो अपनी ईमानदारी के लिए जिले भर में मशहूर है। अब ऐसे अधिकारी के साथ जाकर क्या यह खुद को बचाने में सफल हो पाते हैं या इनके ऊपर लगाए गए आरोपों व शिकायतों पर जिले के पुलिस अधीक्षक ध्यान देकर इनपर कोई कार्यवाही करेंगे, यह देखने वाली बात होगी।
वैसे प्रधान आरक्षक पद पर पटना थाने में फिलहाल पदस्थ नवीनदत्त तिवारी पर हर थाने आने वाला फरियादी आरोप लगा ही जाता है कोई सामने से शिकायत करने की हिम्मत करता है कोई केवल दो चार लोगों से अपनी तकलीफ बांटकर मन हल्का कर पाता है। जिन मामलों में यह विवेचना भी करने जाते हैं उन मामलों में भी इनपर कई बार आरोप लगते आये हैं। पुलिस अधीक्षक कोरिया को ऐसे पुलिसकर्मियों के ऊपर कार्यवाही कर आम लोगों के बीच एक मिसाल कायम करना चाहिए क्योंकिं यह ऐसे प्रधान आरक्षक के रूप में भी जाने जाते हैं जो अपने विभाग के ही अधिकारियों एवम कर्मचारियों के खिलाफ जाकर भी अपने आपको सही साबित करने से नही चूकते। अब देखना होगा जिले के पुलिस अधीक्षक इस मामले को कितनी गंभीरताा से लेते हैं।