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आधे से ज्यादा गिरे आलू के दाम:बेहतर फसल के कारण 5-6 रुपए प्रति किलो से नीचे आई कीमत, किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल

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  • देश के 25 प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्रों में 50% कम हुई आलू की कीमत
  • रिटेल में भी 10 रुपए प्रति किलो तक के निचले स्तर पर पहुंचा आलू

बेहतर फसल होने के कारण आलू की कीमत में 50% से ज्यादा की कमी आ गई है। सरकारी डाटा के मुताबिक, उत्पादन और खपत दोनों क्षेत्रों में आलू इस समय 5 से 6 रुपए प्रति किलो में मिल रहा है। कीमतों में गिरावट से ग्राहकों को तो सस्ता आलू मिल रहा है लेकिन किसान अपनी उत्पादन लागत के लिए जूझ रहे हैं।

किन क्षेत्रों में आलू की कीमत में गिरावट

फूड प्रोसेसिंग मिनिस्ट्री के मुताबिक, देश में 60 प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्र हैं। इसमें से 25 क्षेत्रों में आलू की कीमतों में एक साल पहले के मुकाबले 20 मार्च 2021 को 50% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। आलू उत्पादक यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार में फैले हैं। उत्तर प्रदेश के संभल और गुजरात के दीशा में आलू की कीमत 3 साल के औसत थोक प्राइस 6 रुपए प्रति किलो से भी नीचे चली गई है।

एक साल पहले थोक में 8-9 रुपए प्रति किलो मिल रहा था आलू

मिनिस्ट्री के डाटा के मुताबिक, 1 साल पहले समान अवधि में उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में आलू थोक में 8-9 रुपए किलो मिल रहा था। कुछ जिलों में 10 रुपए प्रति किलो से ज्यादा का भाव था। उत्तर प्रदेश की कुछ मंडियों में पिछले साल मार्च में आलू की बोली 23 रुपए प्रति किलो तक लगी थी। इसी प्रकार से खपत वाले क्षेत्रों में भी 20 मार्च को आलू की कीमत एक साल पहले के मुकाबले 50% नीचे रिकॉर्ड की गई हैं। मंत्रालय ने दिल्ली समेत देश के 16 प्रमुख खपत क्षेत्रों में से 12 क्षेत्रों से मिले इनपुट के आधार पर यह डाटा रिकॉर्ड किया है।

रिटेल मार्केट में भी कीमत में 50% से ज्यादा की गिरावट

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के डाटा के मुताबिक, रिटेल मार्केट में भी आलू की कीमतों में 50% से ज्यादा की गिरावट आई है। 20 मार्च को आलू की मॉडल रिटेल कीमत 10 रुपए प्रति किलो रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 20 रुपए प्रति किलो थी। उदाहरण के लिए, इस दिन राजधानी दिल्ली में आलू की रिटेल कीमत 15 रुपए प्रति किलो रही है, जो एक साल पहले समान अवधि में 30 रुपए प्रति किलो थी।

ग्राहकों के लिहाज से काफी अच्छी है कीमत

उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन का कहना है कि हम उपभोक्ताओं के लिहाज से कीमतों को ट्रैक करते हैं। इस बार आलू की फसल काफी अच्छी रही है। मंडियों में आलू की आपूर्ति बेहतर है और उपभोक्ताओं के लिहाज से इसकी कीमत काफी अच्छी है। किसानों को अच्छी कीमत के सवाल पर नंदन ने कहा कि इस मामले को कृषि मंत्रालय देख रहा है। संभवत कृषि मंत्रालय कुछ प्रस्तावों पर काम कर रहा हो।

क्या कहते हैं आलू उत्पाद किसान?

उत्तर प्रदेश के जेवर निवासी आलू उत्पादक किसान विजय सिंह का कहना है कि 1 एकड़ में आलू की पैदावार करने पर करीब 70 हजार रुपए का खर्च आता है। इसमें आलू का बीज, पानी, खाद और लेबर का खर्च शामिल है। एक एकड़ में 50-50 किलो की करीब 200 बोरी आलू पैदा होता है। मौजूदा भाव के अनुसार, 1 एकड़ में करीब 40 हजार रुपए का आलू पैदा हो रहा है, जबकि किसान की लागत 70 हजार रुपए होती है। यदि किसान कोल्ड स्टोर में आलू रखता है तो उसे 150 रुपए प्रति बोरी अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में किसान के लिए आलू की फसल की लागत निकालना भी भारी पड़ रहा है।

आलू से जुड़ी खास बातें

  • मुख्य तौर पर आलू सर्दियों के सीजन की फसल है।
  • देश के कुल उत्पादन में रबी सीजन के आलू की 85% से 90% हिस्सेदारी है।
  • रबी के सीजन में मार्च से अप्रैल के दौरान उगाए जाने वाला 60%-70% आलू कोल्ड स्टोर में जमा किया जाता है।
  • कोल्ड स्टोर में जमा किए जाने वाले आलू की खपत पंजाब से नवंबर में आने वाली फसल तक किया जाता है।
  • उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और गुजरात आलू के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
  • देश में आलू की कुल खपत सालाना 30-35 मिलियन टन है। हालांकि, यह कीमतों और उपलब्धता पर निर्भर करती है।
  • भारत में हर साल करीब 50 मिलियन टन आलू की पैदावार होती है।
  • भारत में हर साल औसतन 21 लाख एकड़ भूमि में आलू की खेती होती है।
  • एक एकड़ में करीब 22-24 टन आलू की पैदावार होती है।
  • उत्पादन क्षेत्र के लिहाज से भारत पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
  • आलू की खपत के लिहाज से भारत पूरी दुनिया में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।

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