अवैध कब्जे हेतु पेड़ों की अवैध अंधाधुन कटाई जोरो पर स्थानीय कब्जे धारियों पर वन विभाग का अंकुश नहीं, विभाग के जिम्मेदारों की उदासीनता बरकरार
सुरजपुर(IRN.24…)
प्रतापपुर/IRN.24… सूरजपुर जिले के दुरांचल ब्लॉक मुख्यालय प्रतापपुर क्षेत्र के वन परिक्षेत्र घूई में इन दिनों बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे हेतु वन संपत्ति की कटाई की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं वन परिक्षेत्र रेंज छेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रमकोला, भेलकच्छ-कोड़ाकू पारा, धुरिया चीतल माड़ा समेत कई अन्य स्थानों पर बड़े-बड़े हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि अब अवैध कब्जाधारी खुलेआम जंगलों में घुसकर पेड़ों की कटाई कर रहे हैं, जबकि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस पर कोई ठोस कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहे हैं क्षेत्रवासीयों ने बताया कि विगत काफी दिनों से तेजी से जंगलों की अवैध कटाई जारी है जिसमें वन विभाग के कर्मचारियों की भी संलिप्तता भी सामने आई है यदि विभागीय संलिप्तता नहीं है तो फिर कैसे दिनों दिन दिनदहाड़े जंगलों की अवैध कटाई चालू है यह एक बड़ा सवाल हैराज्य सरकार के लाख जतन करने के बाद भी विभाग की लापरवाही से हो रही जंगलों की तबाहीसूत्रों के मुताबिक, घूई रेंज के जंगलों में इन दिनों अवैध कब्जा करने वालों के हौसले बढ़ गए हैं। खासकर, ग्राम रमकोला और आसपास के क्षेत्रों में बड़े पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। जंगल के मेन रोड के किनारे खड़े हरे-भरे पेड़ अब कटकर गिर रहे हैं, जबकि वन विभाग के कर्मचारी फील्ड में न के बराबर दिखाई दे रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब नए रेंजर के आने के बाद प्रशासन ने कई नए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन विभाग की नाकामी के कारण इस क्षेत्र में अवैध गतिविधियाँ पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई हैंग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा के मौन सहमति से ही इस प्रकार अवैध कब्जाधारी बेकाबू हो गए हैं। कुछ इलाकों में तो पेड़ों की कटाई के बाद लकड़ी को खुलेआम सड़क किनारे बेचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचने के बजाय आराम से घर बैठकर अपनी तनख्वाह ले रहे हैं, जिससे जंगलों के विनाश की प्रक्रिया और तेज हो गई हैवर्तमान में सरकार और विभाग को सख्त कदम उठाने की जरूरत है नहीं तो आने वाले समय में जंगलों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगास्थानीय नागरिकों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े संगठनों का कहना है कि अगर जल्दी ही वन विभाग और सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए तो यह जंगल जल्दी ही उजाड़ने का शिकार हो जाएंगे। अवैध रूप से पेड़ों की कटाई और कब्जाधारी के बढ़ते मामले यह साबित कर रहे हैं कि विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह से नाकाम है। जंगलों का यह विनाश न केवल पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि क्षेत्र की जैव विविधता के लिए भी गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता हैनिदान की उम्मीदइस समय, वन विभाग और राज्य सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि वे तत्काल प्रभाव से घूई रेंज के जंगलों में हो रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे। इसके तहत न केवल अवैध कब्जाधारी और कटाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, बल्कि घूई रेंज में नियमित रूप से गश्त और निगरानी भी सुनिश्चित की जानी चाहिएइसके साथ ही, विभाग को इस बात की जवाबदेही तय करनी होगी कि क्यों उनके कर्मचारियों की लापरवाही से इस क्षेत्र में वन संपत्ति का नुकसान हो रहा है। अब यह देखना होगा कि विभाग इन गतिविधियों पर कब रोक लगाता है और कब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कार्रवाई करता हैइस विषय में एसडीओ आशुतोष भगत ने कहा मौके पर वन अमला भेज कर कार्यवाही की जाएगी इतनी बड़ी लापरवाही तथा वनों की कटाई पर कार्यवाही होना सुनिश्चित है। तथा इस मामले को जांच कर कल डीएफओ सूरजपुर के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी