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युक्तियुक्त करण से अध्यापन होगा प्रभावित :- रंजय सिंह

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सूरजपुर/IRN.24… छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा शिक्षा विभाग में युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है जिसमें भारी विसंगति है जिसका सीधा नुकसान अध्यापन पर पड़ेगा ।टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रंजय सिंह ने बताया कि सत्र की समाप्ति पर शिक्षा विभाग द्वारा सर्वप्रथम विद्यालय का युक्तियुक्त करण प्रक्रिया पूर्ण कर अब शिक्षकों का युक्तियुक्त करण करने की तैयारी में है इन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बिसंगती सेटअप के साथ हो रही छेड़छाड़ है जिसमें प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला दोनों में एक शिक्षक कम कर दिया जा रहा है जिसका सीधा नुकसान अध्यापन पर पड़ेगा , सेटअप में प्राथमिक शाला में प्रधान पाठक के साथ दो सहायक शिक्षक का पद स्वीकृत है, जब कि माध्यमिक शाला में प्रधान पाठक के साथ चार विषय शिक्षक का पद स्वीकृत है । जब कि वर्तमान में जारी निर्देश में प्राथमिक विद्यालय में प्रधान पाठक एवं एक सहायक शिक्षक एवं माध्यमिक विद्यालय में प्रधान पाठक के साथ तीन शिक्षक ही रह पाएंगे जिसका सीधा असर विद्यालय के गुणवत्ता पर पड़ेगी ।प्राथमिक विद्यालय में कुल पांच कक्षा होते है जिसमें अठारह पीरियड होते है अब यहा समझ से परे है कि दो शिक्षक कैसे पांच कक्षाओं में अध्यापन करा पाएंगे जब कि कई प्रकार के गैर शिक्षकीय कार्य भी इन्हीं शिक्षकों से वर्ष भर कराए जाते हैं एक शिक्षक कैसे नौ पीरियड पढ़ा पाएगा जब कि एक दिन में अधिकतम छः पीरियड ही होता है ।माध्यमिक विद्यालय में तीन कक्षाओं में छः विषय में कुल अठारह पीरियड होते है ऐसे में चार शिक्षक कैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाएंगे समझ से परे है ।

प्रदेश महामंत्री रंजय सिंह ने बताया कि सेटअप से अधिक पदस्थ होने पर शिक्षकों का अन्यत्र समायोजन समझ में आता है परन्तु सेटअप से कम शिक्षक करना किसी भी स्थिति में न्याय संगत नहीं हैं । ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत ग्रामीणों का आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि अशासकीय संस्थाओं में अच्छा अध्यापन करा पावे ऐसी स्थिति में शासकीय विद्यालय से गुणवत्ता की उम्मीद करना उचित नहीं है शासन प्रशासन को आस पास के विद्यालय को मर्ज कर पर्याप्त शिक्षक के साथ अन्य सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए जिससे अशासकीय विद्यालय से अच्छी शिक्षा शासकीय विद्यालय में दी जा सके ।इन्होंने बताया कि एक ही प्रांगण में स्थित विद्यालय को मर्ज करने की भी बात आ रही है ऐसा करने से प्रधान पाठक के अधिकार पर अतिक्रमण होगा जिससे आपस में टकराव की स्थिति निर्मित होगी एवं विद्यालय की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी । जनप्रतिनिधियों को भी इस विषय पर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से चर्चा कर जन हित में नियम में बदलाव कर युक्तियुक्त करने पर विचार करना चाहिए ।

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