रायपुर चिकित्सा शिक्षा विभाग मंत्रालय रायपुर द्वारा 1 अक्टूबर 2021 को छत्तीसगढ़ के विभिन्न शासकीय चिकित्सालयों से 59 नर्सेस को पदोन्नति देकर छत्तीसगढ़ के 8 शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में प्रदर्शक के पद पर पदस्थ किया है। इन नर्सेस को ग्रेड 3 से ग्रेड 2 पर तथा चिकित्सालय से महाविद्यालय में बिना किसी परीक्षा एवं साक्षात्कार के पहुँचा दिया गया । क्या 2800 ग्रेड पे से सीधे 5600 ग्रेड पे पर आना संभव है? वो भी बिना किसी मापदण्ड के? जब चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत अन्य पाठ्यक्रमों, चिकित्सा शिक्षा, दंत चिकित्सा शिक्षा तथा तथा फिजियोथेरेपी में चिकित्सालय के स्टाफ को महाविद्यालय में पदोन्नति नहीं दिया जाता, अपितु आयोग द्वारा भर्ती की जाती है तो फिर मात्र नर्सिंग शिक्षा में यह नियम कैसे लागू किया गया और यदि पदोन्नति दिया भी जा रहा है तो 20-25 वर्षों से पूर्ण रूप से क्लीनिकल कार्य करने वाले स्टाफ नर्सेस को शिक्षण का कार्य सौंपने से पहले विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक रूप से अनिवार्य होना चाहिए।
ज्ञात हो कि सन् 2014 में जब लोक सेवा आयोग ने प्रदर्शक पद (51 पदों) के लिए परीक्षा लिया था तब मात्र 13 उम्मीदवार परीक्षा उत्तीर्ण कर सके थे। बी०एस०सी० नर्सिंग एक उच्च स्तरीय स्नातक पाठ्यक्रम है। जिस कारण आज दिनांक तक भी 11 पद भरे हुए है तथा 41 पद रिक्त है। 7 वर्षों से उन पदों की पूर्ति संविदा नर्सिंग शिक्षकों ने की है। तो फिर क्या पदोन्नति से आने वाली स्टाफ नर्सेस के ज्ञान और कौषल का परीक्षण किये बिना इन्हें प्रदर्षक पद पर पदस्थ करना स्वीकार्य है? इस प्रकरण का सीधा असर प्रदेश के समस्त शासकीय नर्सिंग महाविद्यालयों में कार्य कर रहे संविदा शिक्षकों पर पड़ा है। संचालनालय चिकित्सा शिक्षा रायपुर में लगभग 22 संविदा शिक्षकों की 1 माह पूर्व सूचना या इसके एवज में एक माह का वेतन दिये बिना नियुक्ति समाप्त करने का आदेश दे दिया है। इस बात को लेकर कुछ दिन पूर्व जब संविदा शिक्षकों ने स्वास्थ्य मंत्री से बात की थी तो उनका जवाब था ‘छटनी होगी, संविदा को धीरे से खत्म करना है। यदि ऐसा है तो शासन अपने घोषणा पत्र में संविदा को नियमित करने की बात न करें ताकि संविदा में कार्य कर रहे कर्मचारियों के मन में आशा की किरण न जागे।