जन-भागीदारी समितियों में मनोनीत अध्यक्ष अपनी नई भूमिका में ऐसे नवाचार करें, जो विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव ला सकें। अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को ईमानदारी से निभाएँ।
-करंजी स्कूल के छात्र रह चुकेराजेश राजवाड़े
सूरजपुर/करंजी/IRN.24…शिक्षा के क्षेत्र में अध्यक्ष की चुनौतियाँ भी बढ़ गई है। प्रेमनगर क्षेत्र के विधायक भूलन सिंह मरावी ने कहा नीति में हमें कई नए पाठ्यक्रम को शुरू करने की स्वतंत्रता मिलती है। उन्होंने जन-भागीदारी समिति के अध्यक्षों से आहवान किया कि विद्यालयों के प्राचार्यों के साथ नई शिक्षा नीति को समझें और प्लानिंग करें।विद्यालयों में कृषि, उद्यानिकी आदि विषयों पर केन्द्रित पाठ्यक्रम को शुरू करने में सहयोग दें। विधायक ने कहा कि विषय-विशेषज्ञों को विद्यालय में आमंत्रित कर ऐसे पाठ्यक्रमों को शुरू करवाएँ, जो न सिर्फ रोजगारोन्मुखी हो बल्कि विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव भी ला सकें।विद्यालय कैम्पस में पौधों की नर्सरी तैयार करें, इससे संबंधित पाठ्यक्रम भी संचालित किये जायें। पर्यटन के लिये गाइड का निर्धारित पाठ्यक्रम भी शुरू किया जा सकता है। विधायक ने कहा कि विद्यालय द्वारा कंसल्टेंट नियुक्त कर स्थानीय मूल्यों पर आधारित रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम को प्रारंभ करने में सक्रिय भूमिका निभाएँ विद्यालयों के पूर्व छात्रों को अपने साथ अवश्य जोड़ें। उन्होंने कहा कि जन-भागीदारी समिति के अध्यक्ष अपनी व्यवस्थित प्लानिंग बना कर कार्यकाल का पूरा उपयोग करें और विद्यालय का नाम रोशन करें।अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा ने कहा कि आज के उन्मुखीकरण कार्यक्रम से कई शंकाएँ दूर होंगी। जन-भागीदारी समिति में अशासकीय प्रतिनिधि मनोनीत करने का आशय यह है कि विद्यालय का कार्यक्षेत्र विद्यालय तक सीमित न रहे, पारदर्शिता और गुणवत्ता भी आए। उन्होंने कहा कि प्राचार्य और समिति अध्यक्ष बच्चों की शिक्षा और उनके सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। ने कहा कि विद्यालयों में रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम, औद्योगिक क्षेत्रों का भ्रमण कर सामाजिक कार्यक्षेत्र में विद्यार्थियों को रोकना आदि जन-भागीदारी समिति के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी है।