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छत्तीसगढ़ विधानसभा में 1 साल के दौरान तीन सत्र हुए। इन विधानसभा सत्रों में विपक्ष के विधायकों के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायक भी आक्रामक भूमिका में नजर आए। ऐसा कई बार देखने को मिला जब सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपने मंत्रियों को घेरने का कोई भी मौका नहीं गंवाया। इन सब के बावजूद भाजपा से जुड़े छह विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने 1 साल के तीनों सत्र में एक भी सवाल नहीं किए।कई विधायकों ने सदन में नहीं पूछा एक भी सवालसरकार के 1 साल कार्यकाल पूरा होने के साथ ही विधायकों का भी 1 साल का कार्यकाल हो चुका है। विधायकों के कामकाज का आकलन करने के लिए जब “इंडियन रिपब्लिक” ने विधानसभा सत्र के आंकड़ों को खंगाला तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद मंत्रिपरिषद की दौड़ में शामिल कई विधायकों ने सदन में एक भी सवाल नहीं पूछा।इसमें पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल जैसे दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। इनके अलावा बीजापुर के विधायक और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने भी सदन में एक भी सवाल नहीं किया। सदन में सवाल नहीं पूछने वालों की सूची में भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले केशकाल के विधायक नीलकंठ टेकाम भी शामिल हैं। जिन विधायकों ने सवाल नहीं किया उनमें से ज्यादातर मंत्रिमंडल की रेस में शामिल हैं।इन्होंने नहीं पूछा एक भी सवालरेणुका सिंह, भूलन सिंह मराबी, अमर अग्रवाल, विक्रम उसेंडी, डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, नीलकंठ टेकाम।