जिले में वन्य प्राणियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है वन मंडल में फिर लापरवाही रेलवे क्रासिंग पर एक और वन्य प्राणी लकड़बग्घे की मौत, वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल
सूरजपुर/ जिले में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर सूरजपुर वन मंडल एक बार फिर सवालों के घेरे में है। विश्रामपुर और दतीमा के बीच रेलवे क्रासिंग के पास शुक्रवार सुबह एक अज्ञात वाहन की टक्कर से लकड़बग्घे की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना वन विभाग की लचर व्यवस्था और वन्यजीव संरक्षण में नाकामी को उजागर करती है। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों में इसे लेकर आक्रोश है, और जंगल में ‘जंगलराज’ की कहावत एक बार फिर से चर्चा में है।
सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मृत लकड़बग्घे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, लेकिन विभाग की ओर से इस मामले में ठोस जवाबदेही की कमी साफ झलकती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सूरजपुर वन मंडल क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष और वाहनों की चपेट में आने से जानवरों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। बीते कुछ समय में वन्यजीवों की मौत की खबरें भी सामने आई हैं। इसके बावजूद विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। हालांकि, विभाग की ओर से हर बार की तरह इस बार भी बहानों का सहारा लेने की संभावना है। वन्यजीव प्रेमी और स्थानीय लोग अब वरिष्ठ अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
जंगलराज या लापरवाही
सूरजपुर वन मंडल में मानव और वन्यजीवों की जान खतरे में डालने वाली घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। कुछ दिन पूर्व एक वन्य प्राणी कोटरा को भी कुत्तों ने नोच डाला था और पहले ही भालू के हमले में एक महिला की मौत ने भी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। अब लकड़बग्घे की मौत ने एक बार फिर वन विभाग की नाकामी को उजागर किया है। सवाल यह है कि आखिर कब तक बहानों की बैसाखी पर चलता रहेगा वन विभाग? और कब तक वन्यजीवों की जान यूँ ही खतरे में पड़ती रहेगी….?