अनिल मेसर्स / छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में लगातार जनहित के मुद्दों पर सक्रियता से कार्य कर रहे कलेक्टर *श्याम धावडे़* व बलरामपुर पुलिस अधीक्षक *राम कृष्ण साहू* की जोड़ी कोरोना काल में बेहतर तरीके से कार्य कर रही थी जिसकी चर्चा पूरे जिले के साथ-साथ प्रदेश में हो रहा था परंतु रेत खनन को लेकर संसदीय सचिव एवं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष की आपसी टकराव के कारण बलरामपुर कलेक्टर के अचानक हुए तबादले से क्षेत्रवासीयो को अचंभित कर दिया कई तरह के संगठन के लोगों ने इस तबादले को लेकर सरकार के सोच पर उंगली उठा रहे हैं _बलरामपुर सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष बसंत कुजूर ने कलेक्टर की अचानक तबादले को लेकर सरकार के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सवाल खड़े किए उन्होंने कहा_ कि बलरामपुर जिला आदिवासी बाहुल्य है और यहां पर विभिन्न प्रकार के आदिवासी निवासरत है ऐसे में जिले के कलेक्टर को अल्प समय में स्थानांतरण किया जाना जिलावासियों के लिए उचित नहीं है क्योंकि बलरामपुर जिला जंगल पहाड़ियों एवं राज्यों की सीमा से लगा हुआ है और यहां पर निवासरत क्षेत्रवासियों को समझने में उनकी समस्याओं के निदान करने में समय लगता है जब तक कलेक्टर क्षेत्र को समझ पाते हैं और जैसे ही क्षेत्रवासियों के लिए अच्छा काम करना प्रारंभ करते हैं उस वक्त उनका तबादला किया जाना बेहद चिंताजनक है बसंत कुजूर ने बताया कि बलरामपुर कलेक्टर श्याम धावडे़ ने अपने अल्प कार्यकाल के दौरान बलरामपुर जिले में छत्तीसगढ़ शासन के मनशाअनुरुप वन अधिकार पट्टा संबंधित प्रकरणों में बेहद गंभीर होकर लोगों के हितों में कार्य किए हैं इतना ही नहीं कलेक्टर बलरामपुर श्याम धावडे़ बलरामपुर वासियों के लिए लंबे समय से चल रहे मांग अंबेडकर भवन की स्वीकृति प्रदान की है वही अपना सामाजिक सेवा समिति के चेयरमैन राजेश मरावी ने बलरामपुर कलेक्टर के अचानक हुए तबादले पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि बलरामपुर जिले को एक अलग पहचान दिलाने जा रहे थे कलेक्टर श्याम धावडे़ परंतु राज्य सरकार के द्वारा अचानक स्थानांतरण किए जाने से बलरामपुर वासियों के हित में हो रहे कई कार्य प्रभावित होंगे बलरामपुर जिले के महिलाओं बालिकाओं के लिए स्वरोजगार से जोड़ने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई रहे थे नवपदस्थ कलेक्टर को पुनः इनकार्यों को आगे बढ़ाने की चुनौती होगी ।