बहुत ही गंभीर विषय है एक ओर जहां छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग नक्सलियों और अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही कर वाह वाही ले रही है, जिसमें गृह मंत्री विजय शर्मा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जो जवान कर्तव्य के दौरान अपनी जान गवा बैठते हैं उन्हें शहीद माना जाएगा या नहीं माना जाएगा या किस प्रकार की मृत्यु को शहीद माना जायेगा तथा शहीद की परिभाषा क्या है, इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय को ही नहीं है बहुत ही निंदनीय बात है कि जिस पुलिस विभाग में भर्ती होने का सपना देश के हर युवा का होता है वही युवा जब पुलिस विभाग में भर्ती होकर आता है और देश सेवा करते हुए कर्तव्य के दौरान अपनी जान गवा देता है उसे शहीद नहीं माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ कर्तव्य के दौरान जान गंवाने वाले जवानों के परिजन मृत जवान को शाहिद का दर्जा दिलाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, कैसी विडंबना है की छत्तीसगढ़ राज्य में जहां पर जवानों के दम पर सरकार वाहवाही ले रही है वहीं दूसरी तरफ कर्तव्य के दौरान अपनी जान गवाने वाले जवानों को उनकी जान का उचित महत्व नहीं दिया जा रहा है।
सँयुक्त पुलिस कर्मचारी एवं परिवार कल्याण संघ के अध्यक्ष उज्जवल दीवान ने पुलिस मुख्यालय से सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी कि जवानों की किस प्रकार की मृत्यु को शहीद माना जाता है तथा शहीद की परिभाषा क्या है तब उसके जवाब में पुलिस मुख्यालय द्वारा जवाब दिया गया कि उक्त जानकारी निरंक है। इस प्रकार के जवाब से आप अनुमान लगा सकते हैं कि देश व राज्य सेवा के लिए अपनी जान न्यौछावर करने के लिए जो जवान दिन रात 24 घण्टे तैयार रहते हैं उनके जान की कीमत क्या है। अब आप सभी लोगों का इस सम्बंध में क्या विचार है हमें जरूर बताएं।